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Showing posts from July, 2020

राम वनगमन

राम तुम वन गमन करोगे। अयोध्या का मन सुना करोगे ।। पिता को दुविधा में छोड़ोगे। क्या वहां जाकर रन छोड़ोगे।। या सारे संसार का कल्याण करोगे।।                                                 मेरे विचार से वन जाओगे।                       माता पिता और भाई को विस्मृत न करोगे।।                     तुम रघुवंश मणि राम कहलाओगे ,                     आज कैकई विमाता कहलाएगी।                    फिर भी तुम अपना धर्म बताओगे।। राम तुम श्रेष्ठ कुल भूषण हो, मर्यादा पुरुषोत्तम और आदर्श का परिचय हो। युग युग तक तुम्हारी जय हो। तुम्हारे विचार वंदनिय हो। मैं जानता हूं तुम दयावान हो।।                   ...

मेरे जीवन का लक्ष्य

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                                               मेरे जीवन का लक्ष्य                                        प्रत्येक मानव के जीवन में एक लक्ष्य होती है। वहीं लक्ष्य ही मानव के जीवन को अपने आगे बढ़ाने मैं मदद करती है । किसी ने ठीक कहा है कि लोग -  “जिस विद्यार्थी के जीवन में लक्ष्य नहीं होता वह जीवन बिना उद्देश्य का होता है।”  हम सभी छात्र छात्राओं के जीवन में एक लक्ष्य और उद्देश्य होना चाहिए जो छात्र जैसा उद्देश्य को बना कर चलते हैं वह उस लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं और मेरा वैसे ही अपने जीवन में सफलता को प्राप्त करते हैं जो निरंतर अपने लक्ष्य का अभ्यास करते रहते हैं। जैसा कि कहां गया है -  करत-करत अभ्यास जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान  अर्थात  :- बार-बार अभ्यास और परिश्रम करने से हमेंं सफलता मिलती है। हम सभी...

कृष्ण भक्त कवियों में सूरदास .........

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सूरदास हिंदी के पूर्व अविरल कवियों में हिना के गीत महाकाव्य बन गए। जिस समय हिंदू जाति की नस नस में राजनीतिक पराधीनता का जहर भूल चुका था लोग जीवन के प्रति उदासीन और अनास्थावान हो , अपने संकीर्ण दायरे में सिमट तेजा रहे थे और जब चारों ओर निराशा का घना कोहरा जम गया था उस समय सूरदास ने अपने मर मधुर गीतों की रचना कर जीवन के प्रति आस्था जगाई तथा बस्ती और कुंठा को दूर कर मानव हृदय में उत्साह और उमंग को संचार किया। कोई आश्चर्य नहीं , इसीलिए भक्ति काव्य और संगीत के संगम पर बसे उनके गीत आज भी साहित्य के पावन तीर्थराज माने जाते हैं।  रचनांए -सूरदास के अनेक ग्रंथ बताए जाते हैं पर उनकी प्रमाणिकता संदिग्ध है सुर की प्रमाणिक रचनाएं तीन हैं  :-  • सूरसागर •सुरसारावली  •साहित्यलहरी सुरसारावली के नाम से स्पष्ट है कि वह सूरसागर का सूची पत्र है इसमें मुनि विषयों का संकेत रूप में वर्णन मिलता है। साहित्य लहरी एक अतिशय शृंगारिक पुस्तक है जिसमें पहेली के रूप में नायिका भेद का कथन किया गया है। वस्तुतः सूरदास का सर्वमान्य और प्रमाणिक ग्रंथ सूरसागर है जो उनकी स्थाई कृतिका...

पत्र लेखन (औपचारिक)

परिवहन निगम को अपने गांव तक बस सुविधा आरंभ कर वाने के लिए एक प्रार्थना पत्र लिखें।                                        *******************                                                                                 ************** सेवा में अध्यक्ष महोदय जामताड़ा परिवहन‌ निगम जामताड़ा झारखंड-८१५३५१। दिनांक : २० जुलाई 20×× विषय : गांव तक बस सुविधा उपलब्ध कराने हेतु पत्र। मान्यवर , मैं राजपल्ली नगर का निवासी हूं और अपने पूरे क्षेत्र की ओर से पत्र लिख रहा हूं।  यहां हमारे गांव तक कोई भी बस सुविधा उपलब्ध ना होने की वजह से कामकाजी पुरुषों तथा स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों को सुबह शाम अनेक कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। डी॰टी॰सी॰ की बसें करीब ३ किलोमीटर पहल...

पत्र लेखन (औपचारिक)

अपने विद्यालय में छात्र-छात्राओं के लिए उत्तम पेयजल व्यवस्था के संबंध में कुछ सुझावों का उल्लेख करते हुए अपने प्रधानाचार्य महोदय / प्रधानाचार्या महोदया को पत्र लिखें।                                  ***************                                                                         ****************** सेवा में प्रधानाचार्य महोदय सावित्री देवी डीएवी पब्लिक स्कूल जामताड़ा जामताड़ा झारखंड-815351 दिनांक : १९ जुलाई, २०×× विषय :- पेयजल व्यवस्था के संबंध में। मान्यवर, सविनय निवेदन है कि विद्यालय प्रांगण में पीने का पानी की व्यवस्था ठीक नहीं है। विद्यालय में छात्र-छात्राएं जिस पानी को पीने के लिए उपयोग में ला रहे हैं , वह अत्यंत प्रदूषित है , जिससे सभी को अनेक प्रकार की बीमारियों का शिकार होना पड़ र...

हिन्दी बोलने का प्रयास करें!!!!

हिन्दी बोलने का प्रयास करें!!!! ये हैं वो उर्दू के शब्द जो आप प्रतिदिन प्रयोग करते हैं, इन विदेशी शब्दों को त्याग कर मातृभाषा का प्रयोग करें:-   उर्दू                  हिंदी ईमानदार       - निष्ठावान इंतजार         - प्रतीक्षा इत्तेफाक       - संयोग सिर्फ            - केवल, मात्र शहीद           - बलिदानी यकीन          - विश्वास, भरोसा इस्तकबाल    - स्वागत इस्तेमाल       - उपयोग, प्रयोग किताब         - पुस्तक मुल्क            - देश कर्ज             - ऋण तारीफ          - प्रशंसा तारीख          - दिनांक, तिथि इल्ज़ाम         - आरोप गुनाह            - अपर...

बिहारीलाल

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बिहारीलाल चौबे या बिहारी हिंदी के रीति काल के प्रसिद्ध कवि थे। जन्म:  1595,  ग्‍वालियर मृत्यु:  1664,  वृन्दावन पूर्ण नाम:  बिहारीलाल चौबे पालक:  केशव राय निधन:  1663  पुस्तकें:  सतसई ,  शृङ्गारसप्तशतिका   जीवन परिचय महाकवि बिहारीलाल का जन्म जन्म 1603 के लगभग ग्वालियर में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन बुंदेल खंड में कटा और युवावस्था ससुराल मथुरा में व्यतीत हुई, जैसे की निम्न दोहे से प्रकट है - जनम ग्वालियर जानिये खंड बुंदेले बाल। तरुनाई आई सुघर मथुरा बसि ससुराल।। जयपुर-नरेश मिर्जा राजा जयसिंह अपनी नयी रानी के प्रेम में इतने डूबे रहते थे कि वे महल से बाहर भी नहीं निकलते थे और राज-काज की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे। मंत्री आदि लोग इससे बड़े चिंतित थे, किंतु राजा से कुछ कहने को शक्ति किसी में न थी। बिहारी ने यह कार्य अपने ऊपर लिया। उन्होंने निम्नलिखित दोहा किसी प्रकार राजा के पास पहुंचाया - नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास यहि...

अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ानाँ

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अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ानाँ या सिर्फ रहीम, एक मध्यकालीन कवि, सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, एवं विद्वान थे। वे भारतीय सामासिक संस्कृति के अनन्य आराधक तथा सभी संप्रदायों के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक थे। उनका व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न था। वे एक ही साथ कलम और तलवार के धनी थे और मानव प्रेम के सूत्रधार थे। अब्दुल रहीम और बादशाह अकबर जन्म :-17 दिसम्बर 1556 दिल्ली, मुगल साम्राज्य निधन :- 1 अक्टूबर 1627 (उम्र 70) आगरा, मुगल साम्राज्य समाधि :- अब्दुल रहीम खान-ए-खाना का मकबरा, दिल्ली संतान :- २ पिता :- बैरम खान माता :- जमाल खान की बेटी धर्म :- इस्लाम जन्म से एक मुसलमान होते हुए भी हिंदू जीवन के अंतर्मन में बैठकर रहीम ने जो मार्मिक तथ्य अंकित किये थे, उनकी विशाल हृदयता का परिचय देती हैं। हिंदू देवी-देवताओं, पर्वों, धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का जहाँ भी उनके द्वारा उल्लेख किया गया है, पूरी जानकारी एवं ईमानदारी के साथ किया गया है। वे जीवनभर हिंदू जीवन को भारतीय जीवन का यथार्थ मानते रहे। रहीम ने काव्य में राम...

कबीर

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कबीर दास कबीर दास 15 वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे, जिनके लेखन ने हिंदू धर्म के भक्ति आंदोलन को प्रभावित किया और उनके छंद सिख धर्म के गुरु ग्रंथ साहिब में पाए जाते हैं। उनका प्रारंभिक जीवन था।एक परिवार, लेकिन वह अपने शिक्षक, मुस्लिम हिंदू भक्ति नेता रामानंद से बहुत प्रभावित था। विकिपीडिया जन्म: वाराणसी मृत्यु: मगहर फ़िल्में: सीन और जोकर, यस वी कैन माता-पिता: नीरू, नीमा  बच्चे: कामली, कमल वे  हिन्दू धर्म  व  इस्लाम  को न मानते हुए धर्म निरपेक्ष थे। उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना की थी।उनके जीवनकाल के दौरान हिन्दू और मुसलमान दोनों ने उन्हें अपने विचार के लिए धमकी दी थी। कबीर पंथ  नामक धार्मिक सम्प्रदाय इनकी शिक्षाओं के अनुयायी हैं। जीवन                                       लहरतरब प्रगट्या स्थल कबीर के (लगभग 14वीं-15वीं शताब्दी) जन्म ...

यदि तुम आ जाते एक बार :- फणीश्वर नाथ रेनू

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प्रेमचंद के बाद यदि कोई दूसरा कथाकार सामने आया तो वह है फणीश्वर नाथ रेणु। जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से ग्रामीण जीवन के यथार्थ (हु-ब-हू) चित्रण को जनता के सामने रखा है। फणीश्वर नाथ रेणु एक आंचलिक कथाकार की कोटि में आते हैं , उन्होंने पूर्णिया जिले के औराही हिंगना ग्राम की भाषा क्षेत्र का वर्णन नहीं वरन पूरे जिले का वर्णन किया है । कोसी मैया की चपल तेज लहरों के साथ परतंत्रता और स्वतंत्रता का भी बखान किया है। फणीश्वरनाथ रेणु की रचनाएं "ठुमरी" और प्रतिनिधि कहानियों का संकलन है जिनमें गांव के जीते जागते जीवन का चित्रण मिलता है। रेणु जी गांव के चितेरे कथाकार हैं। इन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि आजादी के कई दशक तक पूर्णिया जिले के भाषा फूहड़ (फेनुगिलासी)  बोली कहा है। उनकी रचनाओं का मुख्य लक्ष्य है - जीवन में नवीनता का आग्रह करना ............ ऐसे थे कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु जिनके दुख दर्द भरे कहानियों में वह गीत आज भी नहीं भुलाया जा सकते हैं - *************** “ सजनव ा बैरी मैले न . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . दुखिया हो त ो सब को ई बांटे भ...