यदि तुम आ जाते एक बार :- फणीश्वर नाथ रेनू
प्रेमचंद के बाद यदि कोई दूसरा कथाकार सामने आया तो वह है फणीश्वर नाथ रेणु।
जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से ग्रामीण जीवन के यथार्थ (हु-ब-हू) चित्रण को जनता के सामने रखा है। फणीश्वर नाथ रेणु एक आंचलिक कथाकार की कोटि में आते हैं , उन्होंने पूर्णिया जिले के औराही हिंगना ग्राम की भाषा क्षेत्र का वर्णन नहीं वरन पूरे जिले का वर्णन किया है । कोसी मैया की चपल तेज लहरों के साथ परतंत्रता और स्वतंत्रता का भी बखान किया है। फणीश्वरनाथ रेणु की रचनाएं "ठुमरी" और प्रतिनिधि कहानियों का संकलन है जिनमें गांव के जीते जागते जीवन का चित्रण मिलता है। रेणु जी गांव के चितेरे कथाकार हैं। इन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि आजादी के कई दशक तक पूर्णिया जिले के भाषा फूहड़ (फेनुगिलासी) बोली कहा है। उनकी रचनाओं का मुख्य लक्ष्य है - जीवन में नवीनता का आग्रह करना ............
ऐसे थे कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु जिनके दुख दर्द भरे कहानियों में वह गीत आज भी नहीं भुलाया जा सकते हैं -
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“ सजनवा बैरी मैले न .....................
दुखिया हो तो सब कोई बांटे भाग्य न बांटे कोय
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यह गीत “तीसरी कसम” कहानी की है, जो शायद भाभी के कहने पर तीन कसमें खाते हैं,
१. बांस की लदनी नहीं करना हैं।
२. किसी पतुरिया को बैलगाड़ी पर बैठकर नहीं ले जाना है।
३. दूसरी शादी नहीं करेगी .......
लाख भाभी ने समझाया की शादी कर लो फिर भी शादी नहीं करता है। रेणु की अन्य कहानियां मैं “पंचलाईट” एक ऐसी कहानी है जिसे गांव वाले जलाना नहीं जानता है लगता है कोई अनोखी चीज आ गई है सारे पंच बैठ चुके हैं अब पंच लाइट को जलाएगा कौन सारे पंचों के मुंह पर ताला लग गया है। बात होते होते शाम हो गई इधर मुनरी काकी की गीत गा रही है लेकिन लाइट तो जला ना सिर्फ गोदना ही जानता है यह बात कनेली ने अपनी सहेली से कही कि गोदना जलाना जानता है इसी समय गांव के पंचों ने गोदना को जलाने बुलाया। ऐसी स्थिति में गोदना आता है और पंच लाइट को जला देता है उसी समय पंचों ने एक स्वर में कहा - खूब गांव सनम सनम का गीत , आज तूने गांव की इज्जत को बचा लिया जाओ तुम्हारी बंदिश खत्म हो गई।
रेणु जी की अनेक कहानियां संवदिया , आदिम रात्रि की महक , अग्निखौर , और मैला आंचल , लाल पान की बेगम , इत्यादि कहानियों में फणीश्वर नाथ रेणु ने बिहार की अंगिका और ठेठ भाषा का प्रयोग किया है तभी तो उन्होंने एक छोटी लड़की चंपीया की गलती पर उसकी मां कह देती है - “ट्यूशन की छोकरियों के साथ सनम सनम के गीत गाए तो तेरा कल्ला तोड़ दूंगी हरजाई..........
यहां रेणु जी ने गाय , बैल , बकरी , छाकर इत्यादि। चीजों को जोड़कर पाठक को ग्रामीण जीवन से रूबरू कराया है। आज वह समय आ गया कि देश में हिंदी का विकास हो हर आदमी हिंदी भाषा के उत्थान के लिए अग्रसर हो तभी हमारा राष्ट्र आगे की ओर बढ़ सकता है तभी हिंदी आन-बान और शान के साथ चलेगी।
जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से ग्रामीण जीवन के यथार्थ (हु-ब-हू) चित्रण को जनता के सामने रखा है। फणीश्वर नाथ रेणु एक आंचलिक कथाकार की कोटि में आते हैं , उन्होंने पूर्णिया जिले के औराही हिंगना ग्राम की भाषा क्षेत्र का वर्णन नहीं वरन पूरे जिले का वर्णन किया है । कोसी मैया की चपल तेज लहरों के साथ परतंत्रता और स्वतंत्रता का भी बखान किया है। फणीश्वरनाथ रेणु की रचनाएं "ठुमरी" और प्रतिनिधि कहानियों का संकलन है जिनमें गांव के जीते जागते जीवन का चित्रण मिलता है। रेणु जी गांव के चितेरे कथाकार हैं। इन्होंने यह बताने का प्रयास किया है कि आजादी के कई दशक तक पूर्णिया जिले के भाषा फूहड़ (फेनुगिलासी) बोली कहा है। उनकी रचनाओं का मुख्य लक्ष्य है - जीवन में नवीनता का आग्रह करना ............
ऐसे थे कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु जिनके दुख दर्द भरे कहानियों में वह गीत आज भी नहीं भुलाया जा सकते हैं -
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“ सजनवा बैरी मैले न .....................
दुखिया हो तो सब कोई बांटे भाग्य न बांटे कोय
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यह गीत “तीसरी कसम” कहानी की है, जो शायद भाभी के कहने पर तीन कसमें खाते हैं,
१. बांस की लदनी नहीं करना हैं।
२. किसी पतुरिया को बैलगाड़ी पर बैठकर नहीं ले जाना है।
३. दूसरी शादी नहीं करेगी .......
लाख भाभी ने समझाया की शादी कर लो फिर भी शादी नहीं करता है। रेणु की अन्य कहानियां मैं “पंचलाईट” एक ऐसी कहानी है जिसे गांव वाले जलाना नहीं जानता है लगता है कोई अनोखी चीज आ गई है सारे पंच बैठ चुके हैं अब पंच लाइट को जलाएगा कौन सारे पंचों के मुंह पर ताला लग गया है। बात होते होते शाम हो गई इधर मुनरी काकी की गीत गा रही है लेकिन लाइट तो जला ना सिर्फ गोदना ही जानता है यह बात कनेली ने अपनी सहेली से कही कि गोदना जलाना जानता है इसी समय गांव के पंचों ने गोदना को जलाने बुलाया। ऐसी स्थिति में गोदना आता है और पंच लाइट को जला देता है उसी समय पंचों ने एक स्वर में कहा - खूब गांव सनम सनम का गीत , आज तूने गांव की इज्जत को बचा लिया जाओ तुम्हारी बंदिश खत्म हो गई।
रेणु जी की अनेक कहानियां संवदिया , आदिम रात्रि की महक , अग्निखौर , और मैला आंचल , लाल पान की बेगम , इत्यादि कहानियों में फणीश्वर नाथ रेणु ने बिहार की अंगिका और ठेठ भाषा का प्रयोग किया है तभी तो उन्होंने एक छोटी लड़की चंपीया की गलती पर उसकी मां कह देती है - “ट्यूशन की छोकरियों के साथ सनम सनम के गीत गाए तो तेरा कल्ला तोड़ दूंगी हरजाई..........
यहां रेणु जी ने गाय , बैल , बकरी , छाकर इत्यादि। चीजों को जोड़कर पाठक को ग्रामीण जीवन से रूबरू कराया है। आज वह समय आ गया कि देश में हिंदी का विकास हो हर आदमी हिंदी भाषा के उत्थान के लिए अग्रसर हो तभी हमारा राष्ट्र आगे की ओर बढ़ सकता है तभी हिंदी आन-बान और शान के साथ चलेगी।
प्रस्तुती :- मनोज कुमार पोद्दार