Posts

Showing posts from August, 2020

अमीर खुसरो

Image
आमिर खुसरो हिंदी में खड़ी बोली के कवि माने जाते हैं। इनका असली नाम अब्दुल हसन था। खुसरो इन का उपनाम था। इनका जन्म सन 1253 में हुआ था। यह उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाला ग्राम का रहने वाला था। खुसरो अपने जमाने के विद्वान , चतुर , मिलनसार और सफल कवि थे। इनके काव्य साहित्य में आनंद और विनोद का वातावरण मिलता है अमीर खुसरो से अरबी-फारसी , तुर्की , संस्कृत और हिंदी का भी गहन अध्ययन किया था। इन्होंने ९९ पुस्तकें लिखी जिसमें मात्र 20 से 22 रचनाएं ही प्राप्त हुई है। जिनमें “खालिक की बारी” प्रसिद्ध है। मुसलमान कवि होते हुए भी इन्होंने अधिकांश रचनाएं हिंदी में लिखा है इनके काव्य साहित्य में सरलता और स्वच्छता के साथ हिंदू-मुसलमान एकता का संदेश है। खुसरो ने जिस समय किस भाषा का प्रयोग किया उस समय उर्दू का कहीं नामोनिशान भी नहीं था। क्या हिंदी के रूप को उर्दू का जन्म नहीं कहा जा सकता है। खुसरो ने साहित्य को परंपरागत धार्मिक क्षेत्र से बाहर निकल कर मनोरंजन के क्षेत्र में "किया। यह हिंदी साहित्य की निश्चित रूप से नवीन प्रवृत्ति थी इनकी भाषा बोलचाल की थी इन्होंने तत्कालीन सुल्तानों ...

विद्यार्थी और अनुशासन

 छात्र और अनुशासन पर निबंध, student and discipline essay in hindi (600 शब्द) हर किसी के जीवन में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है। अनुशासन के बिना कोई सुखी जीवन नहीं जी सकता। यह कुछ नियमों और विनियमों का पालन करते हुए जीवन जीने का कार्य है। अनुशासन वह सब कुछ है जो हम सही समय में सही तरीके से करते हैं। यह हमें सही रास्ते पर ले जाता है। हम सभी अपने दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार के अनुशासन का पालन करते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं जैसे हम सुबह जल्दी उठते हैं, एक गिलास पानी पीते हैं, ताज़े पाने के लिए वॉशरूम जाते हैं, दाँत साफ़ करते हैं, नहाते हैं, नाश्ता करते हैं, सही समय पर यूनिफॉर्म में स्कूल जाते हैं, आदि सभी अनुशासन हैं । चूंकि विद्यार्थी जीवन सीखने और संवारने का दौर है, इसलिए एक छात्र को अपने लक्ष्यों के प्रति ईमानदार, समर्पित, दृढ़ और केंद्रित होना चाहिए। अनुशासन उनके व्यक्तित्व को आकार देने और उनके चरित्र को ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक छात्र को अपनी दिनचर्या के लिए समय का बहुत पाबंद होना चाहिए। उसे बहुत नियमित होना चाहिए और अपनी पढ़ाई के प्रति ईमानदार होना चाहिए। उसे कड़ी मेह...

संज्ञा की परिभाषा एवं उनके भेद को परिभाषित करें

संज्ञा (Noun) की परिभाषा संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते है, जिससे किसी विशेष वस्तु, भाव और जीव के नाम का बोध हो, उसे संज्ञा कहते है।  दूसरे शब्दों में-  किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है। जैसे-  प्राणियों के नाम-  मोर, घोड़ा, अनिल, किरण, जवाहरलाल नेहरू आदि। वस्तुओ के नाम-   अनार, रेडियो, किताब, सन्दूक, आदि। स्थानों के नाम-   कुतुबमीनार, नगर, भारत, मेरठ आदि भावों के नाम-  वीरता, बुढ़ापा, मिठास आदि संज्ञा के भेद संज्ञा के पाँच भेद होते है- (1) व्यक्तिवाचक (proper noun )  (2) जातिवाचक (common noun) (3) भाववाचक (abstract noun) (4) समूहवाचक (collective noun) (5) द्रव्यवाचक (material noun) (1) व्यक्तिवाचक संज्ञा :- जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान के नाम का बोध हो उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।  जैसे- व्यक्ति का नाम- रवीना, सोनिया गाँधी, श्याम, हरि, सुरेश, सचिन आदि। दिशाओं के नाम-  उत्तर, पश्र्चिम, दक्षिण, पूर्व। नदियों के नाम-  गंगा, ब्रह्मपुत्र, बोल्गा, कृष्णा, कावेरी, सिन्धु। पर्वतों के नाम- ...

अवकाश हेतु प्रधानाचार्य को पत्र लिखें।

सेवा में, श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,  सावित्री देवी डीएवी पब्लिक स्कूल जामताड़ा झारखण्ड  नामुपारा जामताड़ा झारखंड 815351 विषय:- 5 दिनों की छुट्टी लेने के संबंध में   महाशय ,  सविनय निवेदन है कि मैं किशोर कुमार कक्षा तृतीय का छात्र हूं , मेरे पिताजी की तबीयत बहुत खराब है। जिस कारण मैं दिनांक :- 20/08/2021 से 25/08/2021 तक विद्यालय में अनुपस्थित रहूंगा।  अतः श्रीमान से नव निवेदन है कि मुझे 5 दिनों की छुट्टी देने की कृपा करें। इसके लिए आपका सदा आभारी का पात्र बना रहूंगा। आपका आज्ञाकारी छात्र नाम :-                           कक्षा :-           क्रमांक :-         दिनांक :- 18/08/2021

गद्य साहित्य में भारतेंदु हरिश्चंद्र का योगदान

Image
भारतेंदु हरिश्चंद्र भारतेन्दु हरिश्चन्द्र आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। उनका कार्यकाल युग की सन्धि पर खड़ा है।  जन्म: 9 सितंबर 1850, वाराणसी मृत्यु: 6 जनवरी 1885, वाराणसी अवधि/काल  विषय: आधुनिक हिंदी साहित्य आज हम हिंदी गद्य से जो अर्थ समझते हैं-वास्तव में वही खड़ी बोली हिंदी थी , जिसका विकास भारतेंदु काल मैं हो चुका था। कहते हैं , भारतेंदु ने ही हिंदी को अंगुली पकड़कर चलना सिखाया था। भारतेंदु का जन्म १८५० ई॰ में और मृत्यु १८८५ ई॰ में हुआ था। मात्र 35 वर्ष की उम्र ‌में उन्होंने साहित्य गद्य के रूप में काफी विकास किया था। उन्होंने गद्य , (कहानी) , नाटक , उपन्यास को आगे बढ़ाया था। भारतेंदु युग १८५०-१८५७ से ही राष्ट्र चेतना का उदय साहित्य में हो चुका था। जीवन और समाज में जो नए लक्षण प्रकट हुए थे , उन्होंने सबसे पहले भारतेंदु ने पहचाना था, इसलिए तो उन्हें आहवान किया था :-    “आबहूं सब मिली रोहऊं , भारत भाई , हां-हां ....... भारत दुर्दशा दे...

कारक

Image
कारक : - क्रिया की उत्पत्ति मैं जो सहायक हो उसे कारक कहते हैं। जैसे :- १. मोहन पढ़ता है। ( यहां कर्ता मोहन है क्योंकि किया वही करता है अतः यहां कर्ता कारक है। ) २. सोहन खेलता है।  ( यहां कर्ता सोहन है क्योंकि क्रिया वही करता है अतः यहां कर्ता कारक है। ) ३. सीता पढती है। ( यहां कर्ता सीता है क्योंकि क्रिया वही करती है अतः यहां कर्ता कारक है। )        कारक के भेद   व चिह्न १ . कर्ता कारक                                                                      ॰ , न े २ . कर्म कारक                                                            ...