अमीर खुसरो

आमिर खुसरो हिंदी में खड़ी बोली के कवि माने जाते हैं। इनका असली नाम अब्दुल हसन था। खुसरो इन का उपनाम था। इनका जन्म सन 1253 में हुआ था। यह उत्तर प्रदेश के एटा जिले के पटियाला ग्राम का रहने वाला था। खुसरो अपने जमाने के विद्वान , चतुर , मिलनसार और सफल कवि थे। इनके काव्य साहित्य में आनंद और विनोद का वातावरण मिलता है अमीर खुसरो से अरबी-फारसी , तुर्की , संस्कृत और हिंदी का भी गहन अध्ययन किया था। इन्होंने ९९ पुस्तकें लिखी जिसमें मात्र 20 से 22 रचनाएं ही प्राप्त हुई है। जिनमें “खालिक की बारी” प्रसिद्ध है। मुसलमान कवि होते हुए भी इन्होंने अधिकांश रचनाएं हिंदी में लिखा है इनके काव्य साहित्य में सरलता और स्वच्छता के साथ हिंदू-मुसलमान एकता का संदेश है। खुसरो ने जिस समय किस भाषा का प्रयोग किया उस समय उर्दू का कहीं नामोनिशान भी नहीं था। क्या हिंदी के रूप को उर्दू का जन्म नहीं कहा जा सकता है। खुसरो ने साहित्य को परंपरागत धार्मिक क्षेत्र से बाहर निकल कर मनोरंजन के क्षेत्र में "किया। यह हिंदी साहित्य की निश्चित रूप से नवीन प्रवृत्ति थी इनकी भाषा बोलचाल की थी इन्होंने तत्कालीन सुल्तानों ...