कारक


कारक :- क्रिया की उत्पत्ति मैं जो सहायक हो उसे कारक कहते हैं।
जैसे :-
१. मोहन पढ़ता है।
( यहां कर्ता मोहन है क्योंकि किया वही करता है अतः यहां कर्ता कारक है। )
२. सोहन खेलता है। 
( यहां कर्ता सोहन है क्योंकि क्रिया वही करता है अतः यहां कर्ता कारक है। )
३. सीता पढती है।
( यहां कर्ता सीता है क्योंकि क्रिया वही करती है अतः यहां कर्ता कारक है। )

       कारक के भेद  चिह्न

. कर्ता कारक                                                                     ,
. कर्म कारक                                                                      , को
. करण कारक                                                                  से द्वारा
. सम्प्रदान कारक                                                             को , के लिए
. अपादा कारक                                                             से जुदाई
. संबं कारक                                                                 का , के , की
. अधिकरण कारक                                                          में ,
. संबोधन कारक                                                            , हे , हो , अरे..                    

१. कर्ता कारक :- जो शब्द काम करने वाले का बोध करता है , उसे  कर्ता कारक कहते हैं।
जैसे :-
१. राम पढ़ता है।
(यहां राम कर्ता है।)
२. सीता खेलती है।
(यहां सीता कर्ता है।)
३. राजू पढ़ता है।
(यहां राजू कर्ता है।)

२. कर्म कारक :- जिस पर क्रिया का फल पड़े उसे कर्म कारक  कहते हैं।
जैसे :- 
मैंने सोहन को पीटा।
राम ने रावण को मारा।
पिता ने पुत्र को पीटा ...........(इत्यादि)

३. करण कारक :- कर्ता जिस साधन के द्वारा कार्य करता है उसे करण कारक कहते हैं।
जैसे :-
मां चाकू से काटती हैं।
शिक्षक छड़ी से पीटता है।
राजू कलम से लिखता है। .............(इत्यादि)

४. संप्रदान कारक :- कर्ता जिसके लिए कार्य करता हो उसे संप्रदान कारक कहते हैं
जैसे :-
सोहन के लिए कलम लाया।
पिता ने पुत्र के लिए आम लाए।
भाई ने बहन के लिए राखियां लाए। ............(इत्यादि)

५. अपादान कारक :- जहां किसी वस्तु की जुदाई या अलगाव का बौद्ध हो उसे अपादान कारक कहते हैं।
जैसे :-
वृक्ष से पत्ते गीरे।
छत से बालक गीरा।
पेड़ से फल गीरे। ..............(इत्यादि)

६. संबंध कारक :- कर्ता का जहां एक दूसरे का संबंध मालूम हो उसे संबंध कारक कहते हैं।
जैसे :-
राम का भाई लक्ष्मण है।
सीता की बहन गीता है।
राजू का‌ भाई लाभ है। ........(इत्यादि)

७. अधिकरण कारक :- कर्ता जहां पर कार्य करता हो उसे अधिकरण कारक कहते हैं।
जैसे :-
मैं छत पर बैठा हूं।
सीता छत पर बैठी है।
किसान खेत में काम करते हैं। .............(इत्यादि)

८. संबोधन कारक :- कर्ता का जहां एक दूसरे को चिल्लाने या पुकारने का बोध हो उसे संबोधन कारक कहते हैं।
जैसे :-
हे भाई इधर आओ !
अरे श्याम तुम कहां हो !
अजी मोहन यहां आओ ! .................(इत्यादि)



                                                   प्रस्तुती :- मनोज कुमार पोद्दार

                                                                हिन्दी शिक्षक

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