गंगा , गौ , माता व गुरु की महत्ता
समाज में गंगा गाय माता और गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कहा जाता है कि , गंगा के नामों का उच्चारण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है गाय रूपी तीर्थ में गंगा आदि यी का नाम लेने से उसकी परम पावन धूली में पुष्टि विद्यमान है उसके गोमय में साक्षात लक्ष्मी है तथा इन्हे प्रणाम करने से धर्म सम्पन्न हो जाता है।
माता की सेवा करने से तीनों लोकों में श्रेष्ठ माना जाता है। कहा जाता है माता , गौ की पुण्यमयी महिमा का कीर्तन श्रवण दर्शन एवं उसका दान संपूर्ण पापों को दूर करता है जिस घर में भूमि पर निर्भय होकर गाय स्वास लेती है वह परम सौभाग्य है वहां से पाप पलायन हो जाता है भगवान मनु ने गोदान का फल बताते हुए कहा है :-
अनुडुहः श्रियं पुष्टां गोदो ब्रहनस्य विष्टपम्
अर्थात :- बैल को भोजन देने वाला अतुल संपत्ति तथा गाय को देने वाला दिव्य दी दिव्य सूर्य लोक को प्राप्त करता है। जिस भारत में धर्म संस्कृति और विविध शास्त्र तथा ऋषि-मुनियों ने भी सदा गो माता की और गंगा की विमल यश का बखान किया है। गाय पूजनीय है उनके बछड़े से खेती होती है जिससे राष्ट्र अन्न धन से संपन्न होता है गाय का दूध काफी पौष्टिक और बुद्धि को बढ़ाने वाली होती है गौ माता परोपकारिणी है यदि गाय भी धतेपरोपकारिणी है तो गंगा के दर्शन माता के चरण धूलि का स्पर्श एवं गुरु के आशीर्वाद की महिमा कम नहीं है। कहा भी गया है :-
"गुरु गोविंद दोनों खड़े काको लागे पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए"
अर्थात :- गुरु की महिमा मानव कोो कष्ट निर्भय होकर आगे बढ़ाता है गुरुु ही हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु की महिमा को नकारा नहीं जा सकता गुरु हमें स्त्री पुरुष के भेद भाव से मुक्त करता है। हमारे पुराणों में गुरु के नाम - पृथ्वी , वायु , आकाश , जल , अग्नि , चंद्रमा , सूर्य , कबूतर , अजगर , पक्षी , बालक , कुमारी कन्या , वाण बनानेे वाला , हरिन , मछली मैंने इन्हींंं 24 गुरुओं और उनकेेेेेे आचरण से लोक में शिक्षा प्राप्त किया। गाय , गुरु और माता की रक्षा करना राष्ट्र की रक्षा है |
गवां सेवा तु कत्र्तत्या गृहस्थौः पुष्यलिप्सुभिः।
गवां सेवा परो यस्तु तस्य श्री वधतेड्चिरात्।।
अर्थात :- प्रत्येक पुण्य की इच्छा रखने वाला सद ग्रंथ गृहस्थ को गायों की सेवा अवश्यय करनी करनी चाहिए क्योंकि जोो नित्य श्रद्धाधा भक्ति से गायों की प्रयत्नन पूर्वक सेवा करता है। उसकी संपत्तिि शीघ्र वृद्धिि होती है और नित्य वर्धमाान रहती है।
गाय समस्त प्राणियों की परम श्रेष्ठ है यह संपूर्ण विश्व की माता है :-
"सर्वेषामेव भूताना गांवः शरण मुक्तम्
गांवों विश्वस्य मातरः
यह संपूर्ण विश्व में वंदनीय है अमित शक्ति प्रदान ई दिव्य स्वरुप है। इसकी पूजा समस्त देवताओं की पूजा है इसका निरादर समस्त देवताओं का निरादर है यह भारतीय संस्कृति की धरोहर है अतः गांय , माता , गुरु , गंगा सदा सर्वदा प्रणाम करने योग्य है।
द्वारा: - एम॰ के॰ पोद्दार।