14 सितंबर विशेष हिन्दी दिवस
14 सितंबर विशेष हिन्दी दिवस
कब तक हम हिंदी दिवस के रूप में 14 सितंबर को मनाते रहेंगे। जबकि हमारे देश को आजादी मिले हुए लगभग 73 वर्ष हो चुके हैं।
हिंदी लेखन शाह प्रारंभ जॉर्ज ग्रियर्सन ने दी मॉडर्न वर्नाकुलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान में लिखा है।
यह कहना न होगा कि हिंदी अपने ही घर में पढ़ाई बनकर रह रही है। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है या राष्ट्रभाषा ही नहीं वरन राष्ट्रसंघ की भाषा बनने के पद पर है इस भाषा में हमारी आत्मा की आवाज बोलती है कहना न होगा कि भारतेंदु ने हिंदी को उंगली पकड़कर चलना सिखाया था उस काल के कवियों लोगों ने हिंदी को विकास के पथ पर लाने में भरपूर सहयोग किया था।
हिंदी में कहानी नाम के रूप का उदय खड़ी बोली गद्य की भाषा में हुआ था जिसमें भारतेंदु काल के लेखकों लल्लू लाल की पुस्तक प्रेम सागर सदल मिश्र के नासिकेतोपाख्यान और इंशाल्लाह खान की रानी केतकी की कहानी मैं मिलता है। इसी समय के कवियों लेखकों ने हिंदी को जन-जन की भाषा माना था भारतेंदु ने हिंदी के विकास में अपने खानदान की संपत्ति का भरपूर सहयोग किया था। या महत्वपूर्ण भूमिका है कि भारतेंदु काल के साहित्यकारों ने गद्य शैली में लिखकर देश के प्रति आह्वान किया। सन् 1826 ईसवी मैं कोलकाता के फोर्ट विलियम कॉलेज से उदंत मॉडर्न नामक पत्रिका निकला था जिसमें कहानी नाटक और उपन्यास का निकलना प्रारंभ किया था।
इस काल के साहित्यकारों में बद्रीनारायण चौधरी प्रेमघन ठाकुर अधिक अधिकारियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जनता को हिंदी के उत्थान के प्रति जगाया था। उसी समय भारतेंदु ने लिखा था :- ” अब हिन्दी गद्य काल में चली ........................”
भारतेंदु काल के समय ही साहित्य में नए सामाजिक राजनीतिक , ऐतिहासिक , पौराणिक ता का वर्णन किया गया है जब हमारा देश आजादी के लिए फड़फड़ा रहा था उस समय 1912 में राजा राधिका रमन प्रसाद सिंह द्वारा रचित कानों में कंगना , पारसनाथ त्रिपाठी की सुख की मौत प्रकाशित हुई।
इस प्रकार हिंदी भाषा कहानी के विकास की नई अवस्था मानी जाती है चाहे जो भी हो हिंदी दिवस 14 सितंबर को इसलिए और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि इसी दिन भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्मदिवस भी मनाया जाता है। जिस कारण हिंदी के हास्य पर 14 सितंबर बार बार उभर कर आता है। और लेखक , कहानीकारों कवियों को लेखनी चलानी पड़ती है सिर्फ हिंदी को उन्नति का मूल मंत्र बताकर राष्ट्रीय में जागृति लाने का प्रयास किया जाता है।
प्रस्तुती :- मनोज कुमार पोद्दार
(हिन्दी शिक्षक)